| तांण पांण काती तणी, मनड़ै घांण मथांण। मांण आंण मजदूरियां, कांण नहीं कमठांण।।301।।
 जिनस खरीदे जोह सूं, धनतेरस धनवांन। खाली जेब खरीदतां, मोल मजूरां मांन।।302।।
 गाभा फाट्या गीगैल, धीव उगाड़ी धाय। अर भागा मो ओरणां, कांमण कंत कहाय।।303।।
 डांडड़ियां कर डोकरै, धोती दीधी धोय। लीर झीर व्ही लूगड़ी, सासू भुगतै सोय।।304।।
 सुण दुखड़ा कांमण सुमुख, मन मजूर मुरझाय। दीवाली नैड़ी दिखै, नाणा मिलिया नांय।।305।।
 चालाकी सूं चाटगौ, बोनस मालिक बार। नांणा रा होणा नहीं, दिवाली दीदार।।306।।
 हां पनरै दिन पैलही, पूरी हुई पगार। दीवाल ीसाम्ही सुधण, इब कण देय उधार।।307।।
 कोकल घण आड़ा करै, लांण फटाका लेर।
 कड़की इसड़ी ना कदै, हुई मजूरां हेर।।308।।
 धंधा सब मंदा धरा, काल पड़ै विकराल। मिलै नहीं मजदूरियां, पेट दुखी पंपाल।।309।।
 कीं लाया कीं लड़ किया, चुप टाबरियां चाल। दीवाली घर दीवला, भलक रोसनी भाल।।310।।
 साराजांम कर सायधण, जीमण दिया जिमाय। गली मजूरां गांवड़ै, छिब दीपक कम छाय।।311।।
 विधियां अवर विधान सूं, लिछमी पूजै लोक। पण निज घर पूंजीपती, रै लिछमी लै रोक।।312।।
 घर लिछमी रौ गोखड़ौ, कांमण मांड्यो कोड। पण पूजणविध पूजबा, हुवै न धनिकां होड।।313।।
 थाली में चलीर थई, कूं कूं काचर बोर। जिणें दीपक जोवियौ, पूजण लिछमी पौर।।314।।
 जोड़ै लिछमी पूजतां, मांगै इतौ मजूर। सुख सांयत रखजै सदा, दुख दालद रख दूर।।315।।
 वफादर नेकी विरत, सद बुध दीज्यौ साथ। मेर रखाज्यौ मालकां, हाजर जोड़ूं हाथ।।316।।
 गिणती पूज न गोरधन, गौर अरु ना गाय। मूंघौ चारौ मुलक रौ, मोल दूध मंगवाय।।317।।
 रातौ मजूदरां रगत, खलक एकसी खाल। हालै कमठा खेतहर, हांकण जंत्र हमाल।।318।।
 महिनौ चावौ मुलक में, रोजा रौ रमजान। भूखा तिरसा दिवस भर, जीमै रात रिझांण।।319।।
 पांच बगत दिनरा पढ़ै, नित रोजाज नमाज। फल आठौ होवै फतह, सोभाव बधै समाज।।320।।
 सेंवइया सीरा सजै, खीरां मसती खार। मिलै प्रेम सूं मोकला, मीठी ईद मझार।।321।।
 बकरा ईद मनावता, रै कुरबांणी रीत। मुसफिल घणी मजूर नै, पालण रीतां प्रीत।।322।।
 कांमण करै मजूरियां, काती नांवण कोड। दिन सारै कर देनगी, हुवै हांण कर होड।।323।।
 पुनकाती पंचतीरथ्यां, पुसकर नांवण पूर। जोड़ां सूं घण जोह में, मुलकत जाय मजूर।।324।।
 खोटी हुयगा दोय दिन, गयौ कमाई गैड़। 'कंता' और कमावस्यां, कांमण कहवै कैड़।।325।।
 बड़ा पापड़ी गरमवण, सरद तणी सकरांत। जाय थकेलौ जीमता, गरमी फुरती गात।।326।।
 घमा बणाया गौरड़ी, लाडू तिलिया लार। केीदिन चालै करण, मजूदरां मनवार।।327।।
 विमला पूजण नांय वस, मजदूरां घर मांय। रीत तणौ ई रायतौ, करै समझ बिन काय।।328।।
 जाहर सरदी जावतां, रै आवै सिवरात। जल चाढै पूजै जगत, पेख मजूरां पांत।।329।।
 सिव आलय सजिया सका, गली मजूरांगांव। भजन गांवणा रात भर, सिव सिव भजणा साव।।330।।
 रिच्छा अबखी राखणौ, नांमी भोलानाथ। नम सिवाय भजतां नरां, हाजर हाथो हाथ।।331।।
 सिव संकर गवरी सरण, मिलजा जिकै मजूर। वां घर संकट ना वड़ै, दालद रहवै दूर।।332।।
 फागण आया फूलियौ, जोबन हंदौ जौर। मजदूरी मजदूर कर, गीत सांझ घमघोर।।333।।
 चंग बजावै चतरपण, घुरतौ ढोल गवाड़। मजूर डांड्या मांडिया, फागण मिस फूंफाड।।334।।
 दांमा तणी तुठार दर, होली भलोी होय। रंग बिना जल रालवै, देवर भाभी दोय।।335।।
 कोकल घण आड़ा करै, सिर मन होड सवार। मजदूरां आवै मही, तलबा तीज तिंवार।।337।।
 लाय सक्या न लाडलां, गाभा होली हेत। परणी वैसज पैरणी, रलिया जूनी रेत।।336।।
 ब्याव सगाई मैंणत री फल ना मिलै, मोला रहै मजूर।
 ब्याव सगायां बीच में, चाहत चकना चूर।।338।।
 ब्याव सगाई धन वसू, मुसकिल हुवै मजूर। पग फिर फिर थाकै परा, गिरवै पड़ै गरुर।।339।।
 धन बिन मोटी धीवड़ी, हुय जावै हकनाक। चरचा माड़ी चालवै, उडै मजूर मजाक।।340।।
 सीलवंत गुण सांवठा, चालै धीमी चाल। लोग पराया लागवै, खेंचण झूठी खाल।।341।।
 बत झूठी फोरी बठै, बठै करै बकवास। लाल मजूरां लागिया, कीच उछालण काज।।342।।
 मालै करती मटरका, धनवांना री धीव। कुण विणनै फोरी कहै, करै न परवा पीव।।343।।
 घर आयां नित गौरड़ी, घेरौ देवै घाल। धरम सगाई धीवड़ी, करबा जावौ काल।।344।।
 दाझै दिव धी देखतां, निस नीं आवै नींद। हिव उण दिन मो हरखसी, आंगण बधसी बींद।।345।।
 सोरी कठै सगाईयां, हुवै मजूरां हेत। दांम'र मांगै दायजौ, सुण सुण हुवै सचेत।।346।।
 बात सगाई ब्याव री, जद पक्की हुय जाय। लेण उधारा लाजतौ, बौ'रां नै बतलाय।।347।।
 कांनाडालौ घण करै, धरै न बौरौ ध्यानं। मिनखां पाड़ै माजनौ, सुणै मजूरां सांन।।348।।
 पैला म्हांनै पूछतौ, भलै मांडतौ ब्याव। सौ री गड्यां साजतौ, आतौ हियै उछाव।।349।।
 धरा अडाणै घर धरै, बाड़ौ खातै बंध। जीवण मजदूरां जरूत, फसगौ बौ'रां फंद।।350।।
 ब्याज कारणै धन बधै, जीवण बौरां जोस। जरुत मजूरां जिंदगी, मिणिया देवै मोस।।351।।
 बरस पाय टाबर बधै, दोरी सोरी देह। आंचौ परणावण अधिक, गिनर मजूरां गेह।।352।।
 फुरती करतां फूबड़ी, घालण जाय अजेज।
 कद मजदूरां कामणी, जांण करै नीं जेज।।353।।
 अड़ीजंत हुयगौ अवस, पैर बींद पौसाग। बेटो खुस दुख बाप रै, ब्याज भरण भव भाग।।354।।
 कुटुम कबीलौ कोड सूं, जीमण ब्याव जिमाय। रै केई कर रीसणौ, मन गरजां मनवाय।।355।।
 महफिल सजै मजूरियां, करै ब्याव रा कोड। पी दारू परवारगा, घाटा वाला गोड।।356।।
 मैंणत करियां ही मिलै, देख मजूरी दांम। बो पईसौ बेकार में, जावण दे मत जांम।।357।।
 केई अमल अरोगणा, ब्याव सगाई बीच। कादै करज कलीजवै, मजदूरी चख मीच।।358।।
 मूंघौ पड़ै मजूरियां, 'डेकोरेसन' डोल। चला काम तन चांनणी, छोर्या नाचत छोल।।359।।
 ढोल बाजता ना ढबै, गाय दमांमी गती। हैसत सारू हालणौ, मजूदरां मग मीत।।360।।
 धमकचक ब्याव बधावणा, झूंपड़ जोह जरुर। मांड्या सगलै मांडणा, मिलै नगर मजदूर।।361।।
 दिल खूटण करणा दगा, ब्याव बिगाड़ण बात। रोलागारा रीसणा, अवस करै उतपात।।362।।
 भूवा बैनं बेटियां, पूर गिनायत पीक। मन खोलर मजूरिया, साखीणां दै सीख।।363।।
 सराजांम बिन सांतरा, हिव तन देय हिलाय। मांगी कुण सरदी मही, कहै मजूरां काय।।364।।
 आई काती उतरतै, सरद दिनूगै सांम। डर भरियौ मन डोकरां, करण मजूरी कांम।।365।।
 मोड़ौ रिव ऊगै मही, आंथै बेगौ और। रातां मोटी सरद रुत, दिन छोटां रौ दौर।।366।।
 कमठै बेगौ कांम पै, जांणौ पड़ै जरुर। सरदी लाग सरीर में, मुसकिल करै मजूर।।367।।
 उंतावल सरदी इधक, करबा सड़कां कांम। धूजै तर सरदी धकै चिपी मजूरां चांम।।368।।
 कुरं कलेवौ कांण रौ, कंतौ कामण केय। चाय फाफड़ौ चूर नै, देह किरायौ देव।।369।।
 कंता सरदी नीं करौ, ओढण रौ असलाक। झफकै लेय झपेट में, सरदी रै नीं साक।।370।।
 कीकर ओढूं काम्बलौ, बागा जागां बौत। ताय हवा सरदी तणी, छेक उतारै छौत।।371।।
 सोच न बागां संचरौ, लाया भाग लिखार। काम चलावौ कंतजी, हीमत मत ना हार।।372।।
 काया ढाकी काम्बलै, ततबौ नहीं ततूर। तन धूजै मन हांफतै, मग बहवै मजदूर।।373।।
 तोटौ अनड़ै तांवणौ, गत मजूर गुजरांण। मझ सरदी देखौ मजौ, झालां हिवड़ै जांण।।374।।
 बलै कालजौ हाल बस, लेय धपलका लाग। बत्ती सरदी मा बधै, उदर मांयली आग।।375।।
 किणनूं कहां सुणवै कठै, सरदी बहरी साफ। धाया सरद न धारवै, थाकल खावै थाप।।376।।
 हरणीं हीमत सरद हद, करणी रीस करुर। थाकलियौ सगलौ थयौ, मुलकां वरग मजूर।।377।।
 जांदा जरसी रा जठै, वठै कोट ना बात। जावै सरदी झेलता, हेत मजूरां हाथ।।378।।
 धीव गीगला धूजता, ऊंधै गूदड़ ओढ। गोडा छाती घालिया, परिजन रहिया पोढ।।379।।
 सरदी पड़ियां सांवठी, गूदड़ ना गरमास। छण छण आवै छान सूं, हवा सरद तन हास।।380।।
 सीयां मरता सरद सूं, मांही करै मसोड़। रूई कमी रजाइयां, तना मजूरी तौड़।।381।।
 डोल बीगड़ै डोकरां, सरदी भुगत सरीर। कमी मजूर कमाइयां, नहीं संधीणै सीर।।382।।
 जड सरदी पालौ जमै, सूना पग कर सोय।
 डील हालता डोकरी, जुलवलती गत जोय।।383।।
 झिलियौ सरदी सूं जबर, डोकरिया रौ डील। सजै पगार न बगत सर, मोल मजूरां मील।।384।।
 पीसौ नांही पास में, अवर न मिलै उधार। बिना दवाई बाप री, बड हालत बेकार।।385।।
 भुगत रया सरदी वजह, मांचै झुर मां बाप। दवा उधारी कुण दहै, ताय मजूरां ताप।।386।।
 नीमण झिली निमानियै, करती धीवड़ कांम। गुच सरदी सूं गीगलौ, दरस मजूर न दांम।।387।।
 जठै न सरदी जापतौ, राम भरोसे रेय। खोटी रुत सरदी खलक, दोट मजूरां देय।।388।।
 आई सौ तौ उपड़गी, पड़ै न परा पगार। काम चलासां दिन किता, ओरूं लेय उधार।।389।।
 घर ठंड़ौ ठंडी गली, कर ठंडा कमठांण। आई सरदी आवगी, दिल मजदूर दुखांण।।390।।
 गरम न वरदी सरद घण, पढबा हित पौसाल। वेला केई हाल वस, टाबर करदै टाल।।391।।
 धक्का देतौ रीस धुन, लाडेसर रै लार। सरदी री देखौ सरव, महत मजूरां मार।।392।।
 कपड़ा ऊनी छै कठै, चुप चुप काम चलाय। सगलौ घर भुगतै सरद, जोय मजूरां जाय।।393।।
 बारै सरदी बरसवै, हुवै मजूरी दास। मांही बड़ियां मील में, नेगम आय निवास।।394।।
 बैठोड़ा रहवै वसू, ले कर सरद लगांम। हार मानसी सरद हद, करता रहियां कांम।।395।।
 काल धंधा धर मंदी धजर, आफल घर आफूत।
 मुसकिल करै मजूरियां, काला तणी करतूत।।396।।
 बधै नहीं बरसात बिन, सूखै सावण साख। मनड़ै सूख मजूरियां, रांम लाज तूं राख।।397।।
 मेह बिना मोली मही, कूक रया किरसांण। दर दरकार न देनगी, हुवै मजूरां हांण।।398।।
 होती धर हरियालियां, बगत पांण बरसात। दपटाऊ दै देनगी, हर किरसांणां मजूर।।399।।
 किरतारौ भूंडौ करी, चित री आसा चूर। दुखी काल में दोवड़ा, मन किरसांण मजूर।।400।।
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